उज्जैन , सिंहस्थ यानी साधु -संत का जमावड़ा ।  किसी की लंबी जटा तो किसी के शरीर पर भस्म तो कोई नग्न साधु । अपने ज्ञान ,तप और तेज से आम जन का कल्याण करने वाले आचार्य ,महामण्डलेश्वर और  श्री महंतो का कारवां ,लेकिन एक -से दिखाई देने वाले इन साधु -संतो की अपनी पुजा-पद्धति,ईष्ट  देवता और  आचार-विचारभिन्न -भिन्न हैं ।सनातन संस्कृति में १३ अखाड़ो  को मान्यता दी हुई  है। इसमें 7 शैव ,तीन बैरागी (वैष्णव )और 3 उदासीन (ब्रह्मा )संप्रदाय के हैं । इन्ही अखाड़ो के साधु -संत के स्नान के साथ ही सिंहस्थ आयोजन की पूर्णता होती हैं ।













01 इस अखाड़े की स्थापना आद्ध शंकराचार्य  ने की थी । अखाड़े की देशभर में कई शाखाए हैं । वर्तमान में ढ़ाई  से तीन हजार साधु इससे जुड़े है ।अखाड़े के आचार्य स्वामी सुखदेवानंदजी  महाराज अमरकंटक वाले हैं । अखाड़े का मुख्यालय हरिद्धार में हैं , वही से देशभर में अखाड़े की गतिविधियां संचालित होती हैं । उज्जैन में अखाड़ा नरसिंह घाट मार्ग पर हैं । वर्त्तमान में महंत प्रेमागिरी  महाराज व्यवस्था  संभालते हैं ।

 ईष्ट देवता : आद्ध गणेश जी
महंत : उदयगिरि जी  महाराज ,महंत सनातन भारती
विशेष : नागा सन्यासी साधु चोटी नहीं रखते । अटल अखाड़े की मुगल शासन के समय सवा लाख साधुओं की फौज थी । पूर्व में अटल को बादशाह भी कहा जाता था ।




02  इस अखाड़े की स्थापना आद्ध  शंकराचार्य ने की थी । वर्ष 1175 से अखाड़े का इतिहास हैं ।अखाड़े की देशभर में कई शाखाएं हैं । वर्तमान में पाँच हजार से ज्यादा साधु अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर रामकृष्णानंद जी अमरकंटक वाले हैं ।अखाड़े का मुख्यालय राजघाट काशी  में हैं ,वहीं से देशभर में अखाड़े की गतिविधियां  संचालित हैं । उज्जैन में अखाड़े संख्याराजे धर्मशाला फ्रीगंज ब्रिज के नीचे हैं । स्थानीय  थानापति सुदामानंदजी ब्रह्मचारी (लाल बाबा) अखाड़े की व्यवस्था संभालते हैं ।               ईष्ट देवता : गायत्री माता
महंत : गुजरात में बिल्खा के गोपालनंदजी ब्रह्मचारी अखाड़े के सभापति हैं । गोविंदजी  जनरल सेक्रटरी हैं ।
विशेष : नागा सन्यासी साधु । अखाड़े में सिर्फ ब्राह्मण वंश के लोग ही साधु बन सकते हैं । आजन्म  ब्रह्मचारी रहते हैं । सातो अखाड़े में साधु चोटी रखते हैं ।







03 तपोनिधि पंचायती निरंजनी अखाड़ा का इतिहास मुगल काल से हैं । अखाड़े  की स्थापना आद्ध शंकराचार्य ने की हैं  ।अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पुष्पानंदगिरि महाराज हैं । अखाड़े का मुख्यालय इलाहाबाद में  है
अखाड़े की देशभर में कई  शाखाएं हैं ।वर्तमान में 10 से 12 हजार साधु इससे जुड़े हैं । उज्जैन में  बड़नगर रोड पर आश्रम हैं । महंत विश्वनाथगिरी जी महाराज आश्रम की व्यवस्था संभालते हैं ।
ईष्ट देवता :कार्तिक स्वामी
महंत : रमनंदजीपुरी जी ,हरिद्धार
विशेष :  अखिलभारती अखाड़ा परिषद के नवनिर्वाचित अध्यक्ष नरेंद्रगिरिजी महाराज इसी अखाड़े से हैं । अखाड़े की 18 मढ़ियां हैं ।






04 शैव अखाड़ों में सबसे बड़े अखाड़े में शुमार हैं । अखाड़े को स्थापना अद्धा शंकराचार्य ने की थी । उज्जैन में जूना अखाड़े की पहचान दत अखाड़े से हैं । शिप्रा नदी किनारे स्थित दत अखाड़ा का सिंहस्थ में भी प्रथम स्थान हैं । वर्ष 2004 में दत अखाड़े के गदिपति के रूप में श्रीमहंत परमानंदपुरीजी  महाराज विद्धमान हैं । दत्तअखाड़े के यह आठवें पीर हैं । अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंदगिरी महाराज हैं ।
ईष्ट देवता : दत्तात्रेय जी
विशेष : नागा संन्यासी साधु ,दत्त अखाड़े में ही आद्ध शंकराचार्य की चरण पादुका रखी हुई हैं ।







05शैव संप्रदाय  के इस अखाड़े का उज्जैन में कार्यालय नहीं हैं । सिंहस्थ के दौरान अखाड़े के महंत व साधु -संत उज्जैन आते हैं । स्थानीय अखाड़ों से संपर्क कर अखाड़े की गतिविधि शहर में होती हैं ।
ईष्ट देवता : सिद्ध गणेश

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06 तपोनिधि  आनंद अखाड़े का उज्जैन में कार्यालय नहीं हैं । स्थानीय अखाड़ों के महंत अनुसार इस अखाड़े की स्थापना भी प्राचीन काल से हैं ।अखाड़े का मुख्यायल नासिक में हैं । अखाड़े के
ईष्ट देवता : सूर्य  हैं ।








07 महानिर्वाण अखाड़े की स्थापना आद्ध शंकराचार्य जी ने की थी । इसका विधिवत रजिस्ट्रेशन 1860 में किया गया ।महानिर्वाणी अखाड़ा देश के बड़े अखाड़ों में शुमार हैं । अखाड़े में 52 मढ़ी हैं । अष्ट कौशल के आठ श्रीमहंत होते हैं  । अखाड़े का मुख्यालय प्रयाग में हैं । देश के हर तीर्थ स्थलों पर कार्यालय हैं । उज्जैन में महाकाल मंदिर के अंदर कार्यकार्यालय स्थित हैं । यहां पर महानिर्वाणी अखाड़े के प्रमुख महंत प्रकाशपुरीजी  महाराज रहते हैं ।
ईष्ट देवता:  कपिमुनि जी
महंत : सर्वेसर्वा  महंत प्रकाशपुरीजी ,दयापुरीजी ,जमनापुरीजी ,शिवनारायण पुरीजी ,गंगासागर भारती ,विक्रमगिरिजी ,किशनगिरिजी ,विश्वनाथगिरि,व रमेशगिरी ।
विशेष :अखाड़े में शिष्य बनाने की प्रथा हैं । सभी वर्ण से साधु बन सकते हैं । चोटी नही रखने का प्रावधान हैं । नाद ब्रह्म ओम की उपासना की जाती हैं ।




   सिंहस्थ पर्व की संभावित तिथियां 
1. महापर्व का आरंभ  चैत्र  शुक्ल  15 शुक्रवार २२ अप्रैल 2016 
पंचेशानि यात्रा का आरंभ वैशाख कृष्ण 9
वैशाख कृष्ण 30  
रविवार
 शुक्रवार 
01 मई 2016
06 मई 2016 
मेष के सूर्य और चंद्र के साथ
सिंह के गुरु का ,महत्वपूर्ण योग  
वैशाख कृष्ण30  शुक्रवार 06 मई 2016 
अक्षय तृतीया वैशाख कृष्ण 3 सोमवर 09 मई 2016 
शंकराचार्य जयंती वैशाख शुल्क 5 बुधवार 11 मई 2016 
मोहिनी  एकादशी वैशाख शुक्ल 11 मंगलवार 17 मई 2016 
प्रदोष वैशाख शुकल 13 गरुवार 19 मई 2016 
प्रमुख शाही स्नान वैशाख शुक्ल शानिवार 21 मई 2016 











01 उदासीन संप्रदाय ब्रह्माजी के दतक पुत्र सनदसनन्दन सनातन सनत कुमार हैं ।  518 वर्ष पूर्व आचार्य जगद्गुरु श्रीश्री चंद्रजी महाराज हुए थे । 300 वर्ष पहले अखाड़े की स्थापना महंत प्रीतमदासजी ने की थी ।
इलाहाबाद में कृष्णानगर में मुख्यालय हैं । उदासीन संप्रदाय से 12 हजार से अधिक संत जुड़े हुए हैं । देशभर में संप्रदाय की सैकड़ों शाखाएं हैं । बड़ा उदासीन अखाड़े में चार महंत हैं जो बारी -बारी से देशभर में संचालित करते हैं । वर्ष 2004 में महंत रघुमुनिजी ने सिंहस्थ संपन करवाया था । अब श्रीमंत महेश्वरदासजी 2016 का सिंहस्थ पूर्ण करवाएंगे । वर्तमान में क्षिप्रा नदी किनारे अखाड़े का आश्रम है ।
ईष्ट देवता : पंचदेव के उपासक । महंत : श्रीमंत महेश्वरदासजी ,श्री रघुनाथजी , श्री दुर्गादासजी ,श्रीमंत संतोषदासजी ।
विशेष : अखाड़े  के महंत आजीवन होते है । महंत अपने शिष्य नहीं बनाते है । सर पर जटा रखते है । सिला हुआ कपड़ा नहीं पहनते  । उदासीन अखाडा राष्ट्र सेवा व  शिक्षा के प्रचार -प्रसार  में अग्रणी है । अखाड़े ने 135 कॉलेज स्थापित किए ।






02 श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा हरिद्धार बड़े उदासीन अखाड़े की नई  शाखा हैं बड़ा उदासीन के पास 4 धूना बक्शीश है ,वहीं नया उदासीन अखाड़े के पास एक बक्शीश हैं सच्चिदारजी गुरु संगत साहब ने250 वर्ष पूर्व नया उदासीन अखाड़ा की स्थापना की थी । आचार्य जगद्गुरू श्रीश्री चंद्रजी महाराज की पुजा करते हैं ।
अखाड़े का मुख्यालय कनखल हरिद्धार में हैं ।   अखाड़े से 10 से 15 हजार साधु जुड़े हैं । अखाड़े के ज्यादातर आश्रम पंजाब और उतरप्रदेश में हैं । वर्तमान में गुरुमहाराज मंदिर के पास अखाड़े का आश्रम हैं और मुकामी व प्रतिनिधि सर्वेश्वर मुनिजी हैं ।
ईष्ट देवता :  पंचदेव के उपासक शिव ,पार्वती ,गणेश ,सूर्य व हनुमान जी ।
 महंत :   महंत धुनि दासजी  अध्यक्ष। महंत जगतारमुनिजी मुख्य सचिव ।
विशेष : नया उदासीन अखाड़े में चंद्रप्रभुजी दिगंबर स्वरूप में हैं । अखाड़े की गतिविधियां चलाने के लिये चार अलग-अलग महंत हैं ।
चार पंगत :दक्षिण मुखिया महंत भगतराम जी ,पूर्व मुखिया महंत आकाश मुनि जी।,उत्तर मुखिया महंत सुरजीत मुनि जी, पश्चिम  मुखिया महंत मंगलदासजी ।




03 श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा ,हरिद्धार
सन्यासी संप्रदाय से जुड़े श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा की स्थापना संत मेहताबसिंह जी ने की थी ।  अखाड़े का मुख्यालय हरिद्धार कनखल में हैं । आश्रम की बड़ी गतिविधियां देशभर के साथ उतरप्रदेश ,पंजाब में संचालित हैं । वर्तमान में बड़नगर रोड पर आश्रम हैं व सतनामसिंह व्यवस्थापक हैं ।
ईष्ट देवता : गुरुनानक देवजी
महंत : श्री महंत ज्ञानदेवसिंहजी महाराज
विशेष : गुरुनानक के सिद्धांत और सिख समाज में 10 गुरुओ की परंपरा का पालन निर्मल अखाड़े में किया जाता हैं । अखाड़े की स्थापना के पीछे मुख्य मकसद पंजाब में वैदिक परंपरा का प्रचार -प्रसार हैं ।




01 श्री पंचायती उदासीन बड़ा अखाड़ा
उदासीन संप्रदाय ब्रह्माजी के दतक पुत्र सनदसनंदन सनातन सनत कुमार हैं । 518 वर्ष पूर्व आचार्य जगद्गुरु
श्रीश्री चंद्रजी महाराज हुए थे । 300  वर्ष पहले अखाड़े की स्थापना महंत प्रीतमदास जी ने की थी । इलाहाबाद में कृष्णानगर में मुख्यालय हैं । उदासीन संप्रदाय से 12 हजार से अधिक संत जुड़े हुए हैं ।










02 श्री पंच निर्वाण अखाड़ा
अखाड़ा की स्थापना स्वामी बालानन्दाचार्य जी महाराज ने की अखाड़े का मुख्यालय अयोध्या में हनुमानगढ़ी हैं । यहा पर करीब 500 से अधिक संत रहते हैं ,वही देशभर में भी शाखाएं हैं । उज्जैन अंकपात के पास स्थित अखाड़ा का संचालन श्री महंत दिग्विजयदास महाराज करते हैं ।
ईष्ट देवता : हनुमान जी
महंत : मुख्य महंत श्रीमहंत धर्मदास जी महाराज
विशेष : निर्वाणी अखाड़े में पूजा-अर्चना के साथ ज्यादातर सदस्य पहलवानी में महस्थ रखते हैं । अखाड़े में योग व व्यायाम की गतिविधि भी संचालित होती हैं ।


03 श्री पंच रामानंदी दिगंबर अणि अखाड़ा
इस अखाड़े की स्थापना भी अन्य दोनों अणि अखाड़ों की तरह श्री 108 स्वामी बालानन्दाचार्य महाराज ने की हैं । अखाड़े की उज्जैन ,वृंदावन ,अयोध्या ,जगन्नाथपुरी ,चित्रकूट व नासिक में छह बैठक हैं । यहां से अखाड़े की गतिविधियां संचालित होती हैं । उज्जैन में अंकपात के पास स्थित अखाड़े के संचालन का दायित्व श्री महंत रामचंद दस के पास है ।
ईष्ट देवता : हनुमानजी
महंत : श्री महंतरामकिशोर दास शास्त्री ,नासिक
विशेष : भगवान हनुमान की विशेष पूजा-अर्चना करते है । सिंहस्थ में पहले भगवान हनुमान को स्नान करटवाते हैं ,फ़िर स्वयं स्नान करते हैं ।





03 श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़ा
वैष्णव संप्रदाय के इस अखाड़े की स्थापना श्री 108 स्वामी बालानंदाचार्य महाराज ने जयपुर में की थी । अखाड़े की उज्जैन सहित चित्रकूट ,अयोध्या व वृंदावन में मुख्य कार्यालय हैं । उज्जैन में सांदीपनि आश्रम के पास निर्मोही अखाड़ा हैं । अखाड़े का संचालन महंत महेश्वर  महाराज देखते हैं । सिंहस्थ में अखाड़े की गतिविधि महंत राजेंद्रदास जी संचालित करगें ।
ईष्ट देवता : श्री सीताराम जी
महंत : श्री महंत राजेंद्रदास महाराज ,अहमदाबाद । मंत्री श्याम सुन्दर महाराज ।
विशेष : वैष्णव संप्रदाय के होने भगवान राम की स्तुति और भजन ।






एक हजार कार्तिक स्नान बराबर सिंहस्थ स्नान 
सिंहस्थ में नहान की महता हैं । स्कंद पुराण में सिंहस्थ स्नान स्नान की बड़ी महता बताई है । एक व्यक्ति एक हजार कार्तिक स्नान ,100 माघ स्नान व वैशाख मास में करोड़ नर्मदा स्नान के बाद जो पुण्य मिलता है वह एक सिंहस्थ  स्नान में मिलता हैं ।


कुंभ व अर्द्धकुंभ 
देशभर में 12 वर्ष में पाँच बार कुंभ ,सिंहस्थ और अर्द्धकुंभ लगता है । इसमें हरिद्धार  ,उज्जैन ,नासिक,में 12 वर्ष में एक बार तथा इलाहाबाद में छह -छहवर्ष में

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